CTET EVS NCERT Question on Folk Dance of India: देश के केंद्रीय विद्यालयों में सरकारी टीचर बनने के लिए सपना देख रहे अभ्यर्थियों के लिए यह सुनहरा अवसर है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के द्वारा केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) परीक्षा के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, जो कि 24 नवंबर 2022 तक चलेगी। अगले माह दिसंबर से कई चरणों में यह परीक्षा सीबीटी द्वारा ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की जाएगी।
आज हम यहां पर्यावरण अध्ययन (EVS) के अंतर्गत पूछे जाने वाले भारत के ‘प्रमुख लोक नृत्य’ के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे साथ ही लोक नृत्य से जुड़े सवालों का (CTET EVS NCERT Question on Folk Dance of India) अभ्यास करेंगे. जो आपके आने वाली केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET 2022) की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए इन्हें एक नजर जरूर पढ़ें।
भारत के विभिन्न राज्यों के प्रमुख लोक नृत्य—EVS NCERT Important Folk Dances Of India
Assam Folk Dance In Hindi (असम का लोकनृत्य)-
बिहू – भारत के असम राज्य का लोक नृत्य है बिहू। बिहू नृत्य असम की कछारी जनजाति के द्वारा किया जाता है। बिहू नृत्य फसल की कटाई के दौरान ही किया जाता है। यह नृत्य साल में तीन बार मनाया जाता है। बिहू नृत्य की वेशभूषा बहुत ही अधिक साधारण होती है, इसे करते समय पारम्परिक वस्त्र जैसे धोती, गमछा आदि पहना जाता है।
Uttar Pradesh Folk Dance (उत्तर प्रदेश के लोक नृत्य ) –
नौटंकी नृत्य – नौटंकी नृत्य को छंद, दोहा, हरी गीतिका, कव्वाली, गजल आदि के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें गायन, अभिनय, नृत्य आदि कई सारी विधाएं शामिल रहती है।
Madhya pradesh Folk Dances (मध्य प्रदेश के लोक नृत्य)-
पंडवानी – पंडवानी नृत्य मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ में किया जाता है। यह एकल लोक नृत्य है। इसमें गायन एवं नृत्य एक ही व्यक्ति के द्वारा किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से पाण्डवों पर आधारित घटनाओं का चित्रण किया जाता है।
गणगौर नृत्य- मध्यप्रदेश के निमाड़ में क्षेत्र का सबसे लोकप्रिय नृत्य है गणगौर । चैत्र मास की नवरात्रि में गणगौर नृत्य किया जाता है। यह पर्व माँ गौरी और शिव की उपासना के लिए होता है। इसमें रथ को सिर पर रख कर नृत्य किया जाता है।
Gujarati Folk Dance (गुजरात के लोक नृत्य) –
गरबा – गरबा गुजरात का लोक नृत्य है, लेकिन यह भारत के कई हिस्सों में किया जाता है, यह नवरात्री के अवसर पर किया जाता है। गरबा नृत्य के द्वारा माँ दुर्गा की आराधना की जाती है।
Rajasthani Folk Dance (राजस्थान के लोक नृत्य)-
कालबेलिया नृत्य – यह प्रदेश कला और संस्कृति से भरपूर है। यहाँ पर कालबेलिया नाम की जनजाति होती है जिनके द्वारा किया गया नृत्य कालबेलिया नृत्य कहलाता है ।
घुमर – घुमर नृत्य राजस्थान में प्रत्येक त्यौहार, उत्सव, समारोह में प्रमुखता से किया जाने वाला नृत्य है। इसे स्त्रियों द्वारा ही किया जाता है। महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले लम्बे घाघरे इस नृत्य का विशेष आकर्षण होते है।
यह नृत्य महिलों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है एवं पुरुषो के द्वारा भजन गाये जाते है। इस नृत्य में महिलाएं अपने शरीर पर मंजीरों को बांधती है एवं गीत की लय के साथ उन्हें बजाती है।
तेरहताली नृत्य – यह नृत्य महिलों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है एवं पुरुषो के द्वारा भजन गाये जाते है। इस नृत्य में महिलाएं अपने शरीर पर मंजीरों को बांधती है एवं गीत की लय के साथ उन्हें बजाती है।
भवाई नृत्य – राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र में किया जाने वाला भवाई नृत्य बहुत अधिक लोकप्रिय है। इस नृत्य में मटकों को सर पर रख कर नृत्य किया जाता है। इन मटकों की संख्या 8 से 10 भी हो सकती है. इस नृत्य की खासियत यह है की नृत्य करते समय नर्तकी किसी गिलास या थाली के कटाव पर या तलवार पर खड़े हो कर नृत्य करती है।
Maharashtra Folk Dance (महाराष्ट्र के लोक नृत्य)-
तमाशा – यह महाराष्ट्र में किया जाने वाला नाटिका नृत्य है. ज्यादातर लोक नाटिका में पुरुष ही मुख्य भूमिका निभाते है, लेकिन तमाशा में मुख्य भूमिका महिलाएं ही निभाती है। यह बहुत ही सफल लोक नृत्य है। तमाशा का प्रस्तुतीकरण प्रायः कोल्हाटी समुदाय के द्वारा किया जाता है।
लावणी – लावणी महाराष्ट्र का सबसे अधिक लोकप्रिय नृत्य हैं। लावणी नृत्य की लोकप्रियता का अन्दाज इस बात से लगाया जा सकता है, कि लावणी नृत्य का प्रयोग फिल्मों में भी किया जाता हैं। यह नृत्य विशेष पारंपरिक परिधान में किया जाता है, जिसमे न्रात्यांगना 9 मीटर के साड़ी पहनती है। लावणी नृत्य में आध्यात्म एवं श्रृंगार दोनों ही भावों का मेल होता है।
Jammu and Kashmir folk dance (जम्मू-कश्मीर के लोक नृत्य)-
रऊफ नृत्य – भरत के जम्मू-कश्मीर में लोकप्रिय यह नृत्य विशेष रूप से फसल की कटाई के उपलक्ष्य में किया जाता है। यह नृत्य मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा के द्वारा ही किया जाता है।
Chhattisgarh folk dance (छतीसगढ़ के लोक नृत्य)-
पंथी नृत्य – छतीसगढ़ के महान संत गुरु घासीदास के पंथ से ही पंथी नृत्य का नामकरण हुआ मुख्यतः निर्गुण भक्ति पर आधारित यह लोक नृत्य छत्तीसगढ़ के सतनामी समुदाय के द्वारा किया जाता है। इस नृत्य में नर्तक झांझ एवं मृदंग की ध्वनी पर सफ़ेद धोती पहन कर नृत्य करते है. इस नृत्य के दौरान अचंभित करने वाले कारनामे भी दिखाए जाते हैं। यह नृत्य आध्यात्मिक भावनाओं पर आधारित होता है।
Andhra Pradesh folk dance (आन्ध्र प्रदेश के नृत्य) –
कुचिपुड़ी – इस नृत्य का नाम आँध्रप्रदेश के एक गाँव कुचिपुडी के नाम पर ही पड़ा है। यह नृत्य पुरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। कुचिपुड़ी नृत्य का प्रदर्शन पारंपरिक तरीके से किया जाता है। नृत्य से पहले मंच पर पूजन किया जाता है। इस नृत्य में कर्णाटक संगीत के साथ मृदंग,वायलीन आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। इसमें विशेष आभूषण एवं वस्त्र पहने जाते है।
Kerala folk dance (केरल के लोक नृत्य)-
मोहिनीअट्टम – यह नृत्य शास्त्रीय परम्परा पर ही आधारित है। यह अपने नाम के अनुसार ही मोहित करने वाला नृत्य होता है। इस नृत्य में आँखों के, हाथों के तथा चेहरे के हाव्-भाव बहुत अधिक महत्वपूर्ण होते है। इसमें नात्यांगना केरल की विशेष सफ़ेद रंग की सुनहरी जरी वाली साड़ी पहनती है। यह नृत्य मूल रूप से हिन्दू पौराणिक कथाओ पर आधारित होता है।
कथकली – कथकली में एक नृत्य नाटिका अर्थात एक कथा का विवरण प्रस्तुत किया जाता है। इसमें विभिन्न पुराणों जैसे- महाभारत या रामायण आदि के चरित्रों का रूपांतरण किया जाता है। इस नृत्य की वेशभूषा बहुत ही सुन्दर एवं आकर्षित करने वाली होती है। इसमें विशेष वस्त्र एवं आभूषणों जैसे सर पर मुकुट आदि का प्रयोग किया जाता है। इस नृत्य में हाथों की मुद्राओं एवं चेहरे भावों का विशेष महत्व रहता है।
Odisha folk dance (ओड़िसा के लोक नृत्य)-
ओडिसी – ऐसा माना जाता है कि ओडिसी नृत्य का प्रारंभ मंदिरों में नृत्य करने वाली देवदासियों के नृत्य के द्वारा हुआ। ओडिसी नृत्य में मुख्यतः भगवान् कृष्णा और विष्णु के अवतार की कथाएं बताई जाती है एवं भगवान जगन्नाथ का वर्णन भी किया जाता है। ओडिसी नृत्य के भी कई पुरातात्विक प्रमाण पाए जाते है। यह बहुत ही प्राचीन कला नृत्य में हस्त मुद्राएँ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
Uttarakhand folk dance (उत्तराखंड के लोक नृत्य) –
छौलिया नृत्य – उत्तराखंड में किया जाने वाला सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य छौलिया है। ऐसा माना जाता है की उत्तराखंड के छौलिया लोक नृत्य का इतिहास कई दशकों पुराना है। इस नृत्य का चलन उत्तराखंड में उस समय से है, जब विवाह तलवार की नोक पर हुआ करते थे। छौलिया नृत्य विवाह के मौके पर किया जाता है। जब बारात निकलती है, तो बारात में कुछ पुरुष पारंपरिक वेशभूषा पहने यह नृत्य करते है और इसी तरह दुल्हन के घर तक जाया जाता है।
Punjab folk dance (पंजाब के लोक नृत्य)-
भांगड़ा – मुख्यतः यह लोक नृत्य पुरुषो द्वारा किया जाता है, पंजाब में इसे त्योहारों और उत्सवो पर किया जाता है।
गिद्दा – पंजाब में ही एक और लोक नृत्य प्रसिद्ध है, जिसका नाम है- गिद्दा। यह नृत्य महिलों द्वारा पारम्परिक पंजाबी वस्त्र पहन कर किया जाता है।
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