Folk Dance of Uttar Pradesh (उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्य)
उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्य
नृत्य की कत्थक शैली उत्तर प्रदेश की देन है। ‘कत्थक नृत्य शैली’ को अवध के अंतिम नवाब ‘वाजिद अली शाह ने प्रोत्साहित किया था। प्रदेश के प्रत्येक अंचल में लोकगीतों में भिन्नता के साथ ही लोकनृत्य में भी भिन्नता मिलती है। उत्तर प्रदेश के प्रमुख लोकनृत्य (Folk Dance of Uttar Pradesh In Hindi) इस प्रकार हैं।
Folk Dance of Uttar Pradesh In Hindi
(1) घोड़ा नृत्य
यह नृत्य बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मांगलिक अवसर पर बाजों की धुन पर घोड़ों द्वारा कराया जाता है। धुरिया नृत्य- बुन्देलखण्ड के प्रजापति (कुम्हार) लोग इस नृत्य को स्त्री वेश धारण करके करते हैं।
(2) छोलिया नृत्य
राजपूतों द्वारा यह नृत्य विवाहोत्सव पर किया जाता है। इस नृत्य को करते समय एक हाथ में तलवार तथा दूसरे हाथ में ढाल होती है।
(3) ढरकहरी नृत्य
सोनभद्र के जनजातियों द्वारा किया जाता है।
(4) मयूर नृत्य
यह नृत्य भी ब्रज क्षेत्र में किया जाता है। इसमें नृत्य के दौरान मोर के पंख से बने विशेष वस्त्र धारण किया जाता है।
(5) धोबिया नृत्य
पूर्वांचल में यह धोबी समुदाय द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें नृत्य के माध्यम से धोबी व गदहे के सम्बन्धों की जानकारी प्राप्त होती है।
(6) चौलर नृत्य
मिर्जापुर व सोनभद्र आदि जिलों में यह नृत्य अच्छी वर्षा व अच्छी फल के लिए किया जाता है। ढेढिया नृत्य- इसका प्रचलन हावा क्षेत्र में स्वागत में किया जाता है। राम के लंका विजय के बाद वापस आने पर किया जाता है। इसमें सिर पर छित्रयुक्त मिट्टी के बर्तन में दीपक रखकर किया जाता है
(7) कठघोड़वा नृत्य
यह नृत्य पूर्वांचल में मांगलिक अवसरों पर किया जाता है। इसमें एक नर्तक अन्य नर्तकों के घेरे के अन्दर कृत्रिम घोड़ी पर बैठकर नृत्य करता है।
(8) जोगिनी नृत्य
इस नृत्य को विशेषकर रामनवमी के त्योहार पर किया जाता है। इसके अन्तर्गत साधु या कोई अन्य पुरुष महिला का रूप धारण करके नृत्य करते हैं।
(9) धींवर नृत्य
यह नृत्य अनेक शुभ अवसरों पर विशेष रूप से कहार जाति के लोगों द्वारा किया जाता है।
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(10) शौरा या सैरा नृत्य
यह नृत्य बुन्देलखण्डवासी कृषक अपनी फसलों को काटते समय हर्ष प्रकट करने के उद्देश्य से करते हैं।
(11) करमा व शीला नृत्य
सोनभद्र व मिर्जापुर के खरवार आदि आदिवासी लोगों द्वारा यह नृत्य किया जाता है।
(12) पासी नृत्य
पासी जाति के लोगों द्वारा यह नृत्य किया जाता है। इस नृत्य में सात अलग अलग मुद्राओं की एक गति तथा एक ही लय में युद्ध की भांति नृत्य की जाती है।
(13) ख्याल नृत्य
पुत्र जन्मोत्सव पर बुन्देलखंड में ख्याल नृत्य किया जाता है। इसके अन्तर्गत रंगीन कागजों तथा बांसों की सहायता से मंदिर बनाकर फिर उसे सिर पर रखकर नृत्य किया जाता है।
(14) रास नृत्य
यह नृत्य ब्रज क्षेत्र में रासलीला के दौरान किया जाता है। रासक दण्ड नृत्य भी इस क्षेत्र का एक रोचक नृत्य है।
(15) झूला नृत्य
यह भी ब्रज क्षेत्र का नृत्य है, जिसका आयोजन श्रावण मास में किया जाता है। इस नृत्य को मंदिरों में भी किया जाता है।
(16) छपेली नृत्य
एक हाथ में रुमाल तथा दूसरे में दर्पण लेकर किये जाने वाले इस नृत्य में आध्यात्मिक समुवति की कामना की जाती है।