हिन्दी ग्रामर: संज्ञा एवं सर्वनाम जाने!भेद, परिभाषा और उदहारण
हिन्दी व्याकरण की प्रारम्भिक शुरुआत संज्ञा एवं सर्वनाम से होती है। हिन्दी भाषा को शुद्ध रूप से पढ़ने, बोलने समझने मे हिन्दी व्याकरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस आर्टिकल मे हम हिन्दी व्याकरण के अंतर्गत संज्ञा एवं सर्वनाम का विस्तार से अध्ययन करेंगे ये लेख उन सभी विध्यार्थियों के लिए सहायक है जो स्कूली शिक्षा ले रहे है या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है।
संज्ञा- NOUN
किसी व्यक्ति,वस्तु,स्थान आदि के नाम को संज्ञा कहा जाता है।संसार में जितने भी चीजे(वस्तु) है सभी का कोई ना कोई नाम है।हिंदी व्याकरण में नाम को ही संज्ञा कहा जाता है।
जैसे –
व्यक्तियों केनाम:- महात्मा गाँधी, अटल बिहारीवाजपेयी,गाय, बकरी, मच्छरआदि।
वस्तुओंकेनाम:- कलम, मेज, किताब, अलमारी, साइकिल, रेडिओ आदि।
स्थानों केनाम:- दिल्ली, हरिद्वार, शिमला, बनारस, हिमालय , गंगा आदि।
भावों केनाम:- प्रेम, घृणा, क्रोध, लड़ाई, बुराई, बुढ़ापा, शान्ति आदि।
हिन्दी व्याकरण में संज्ञा के 5 भेद/ प्रकार होते हैं:-
- व्यक्तिवाचक संज्ञा | Proper Noun
- जातिवाचक संज्ञा | Common Noun
- भाववाचक संज्ञा | Abstract Noun
- समूहवाचक संज्ञा | Collective Noun
- द्रव्यवाचक संज्ञा | Material Noun
संज्ञा के इन पाँच भेद के अलावा उत्पत्ति के आधार पर संज्ञा के तीन भेद होते हैं (क) रूढ़ (ख) यौगिक (ग) योगरूढ़ (इन्हे विस्तार से जाने…)
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा –
जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे – रमेश, महेश, गंगा, हिमालय।
व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, दिशाओं, देशों, राष्ट्रीयता, समुद्रों, नदियों, पर्वतों, सड़कों, पुस्तकों, समाचार पत्रों, घटनाओं, दिन-महीनों, त्यौहार-उत्सवों इत्यादि को स्थान दिया जाता है।
- उदाहरण : श्याम, सुरेश, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, भारत, भारतीय, हिन्द, महासागर, हिमालय, दिल्ली, ऋग्वेद, दैनिक जागरण, मई, बुधवार, होली, दिवाली जैसे शब्द व्यक्तिवाचक शब्द हैं।
2. जातिवाचक संज्ञा –
जिस शब्द से एक ही प्रकार की वस्तुओं, व्यक्तियों तथा प्रवृत्तियों का बोध हो तो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। संबंधियों, व्यवसायों, पदों तथा कार्यो, पशु-पक्षियों, वस्तुओं तथा प्राकृतिक तत्वों के नाम जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आते हैं।
- उदाहरण : भाई, बहन, प्रोफेसर, मनुष्य, नदी, घोड़ा, गाय, पुस्तक, वर्षा, ज्वालामुखी, राजा, मंत्री, कुर्सी, घोड़ा, बनिया, ब्राम्हण, लड़का, नर, नारी, आदमी, औरत, पहाड़, नदी, घाटी, समुद्र, द्वीप, तालाब, अनाज जैसे शब्द जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण है।
3. भाववाचक संज्ञा –
जिस शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण या धर्म, दशा तथा कार्य व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
प्रत्येक पदार्थ का अपना एक स्वभाव होता है। मनुष्य का स्वभाव मनुष्यत्व तथा पशु का हरकत पशुत्व कहलाता है।
भाववाचक संज्ञा के एक शब्द से एक ही शब्द का बोध होता है, इस कारण ऐसे शब्दों का प्रयोग उसके उसी रूप में होता है। बहुवचन के प्रयोग संभव नहीं होते।
- उदाहरण : लंबाई, नम्रता, चाल, समझ, मनुष्यत्व, देवत्व, पशुत्व, अपनापन, बंधुत्व, मर्दाना, शीतलता, मिठास, तीखापन, बुढ़ापा, मित्रता, गर्मी, सर्दी, निजत्व, मित्रता, पढ़ाई, लड़ाई, कड़ाई, प्रवाह,इत्यादि भाववाचक संज्ञा के उदाहरण है।
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम तथा अव्यय में प्रत्यय लगाकर होता है।
भाववाचक संज्ञा का निर्माण | Constructive Noun
अ) जातिवाचक संज्ञा से –
बूढ़ा – बुढापा, लड़का – लड़कपन, मित्र – मित्रता, मनुष्य – मनुष्यत्व
ब) विशेषण से –
गर्म – गर्मी, मीठा – मिठास, कठोर – कठोरता, नम्र – नम्रता
स) क्रिया से –
चढ़ना – चढ़ाई, पढ़ना – पढ़ाई, रोना – रूलाई, दौड़ना – दौड़
द) सर्वनाम से –
अपना – अपनापन, निज – निजत्व
इ) अव्यय से –
दूर – दूरी, समीप – समीपत्व