Maths Pedagogy
Maths Pedagogy Selected Questions For CTET Exam 2021

Maths Pedagogy For CTET
इस पोस्ट में हम मैथ्स पेडगॉजी के बहुविकल्पीय प्रश्न का अध्ययन करेंगे जो कि आगामी सीटेट परीक्षा को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं जैसा कि आप सभी जानते हैं कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने CTET की परीक्षा की तिथि घोषित कर दी है। अब यह परीक्षा 31 जनवरी, 2021 को आयोजित की जाएगी. यदि आप भी इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो नीचे दिए गए प्रश्न को हल करके अपनी तैयारी को परख सकते हैं।
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Top 10 Maths Pedagogy Questions
1. गणित को पढ़ाने में डिडक्टिव विधि के उपयोग में किस सिद्धांत का पालन किया जाता है?
A. अज्ञात से ज्ञात की ओर अग्रसर होता है
B. ज्ञात से अज्ञात की ओर अग्रसर होता है
C. विशेष से सामान्य तक की कार्यवाही
D. सामान्य से विशेष तक की प्रक्रिया
Ans: D
2. NCF 2005 के अनुसार निम्नलिखित में से कौन सा प्राथमिक स्तर पर गणित पढ़ाने का उद्देश्य नहीं है ?
A. उच्च और सार गणित सीखने की तैयारी
B. गणित को बच्चे के जीवन के अनुभवों का हिस्सा बनाना
C. समस्या को सुलझाने और समस्याग्रस्त कौशल को बढ़ावा देना
D. तार्किक सोच को बढ़ावा देना
Ans: A
3. रैखिक अभिव्यक्ति के अलावा मनाया जाने वाला एक बहुत ही सामान्य त्रुटि 5y + 3 = 8y है। इस प्रकार की त्रुटि
के रूप में करार दिया है।
A. लिपिकीय त्रुटि
B. अवधारणात्मक त्रुटि
C. प्रक्रियात्मक त्रुटि
D. लापरवाह त्रुटि
Ans: B
4. NCF 2005 के विज़न स्टेटमेंट के अनुसार, स्कूली गणित एक स्थिति में नहीं होता है,
जहाँ बच्चे
A.गणित सीखना पसंद करते हैं
B. गणित को अपने दैनिक जीवन के अनुभव के एक भाग के रूप में देखते हैं
C. सार्थक समस्याओं का समाधान और हल
D. सूत्र और एल्गोरिदम को याद करते हैं
Ans: D
5. पाइथागोरस प्रमेय सिखाने के लिए, एक शिक्षक ने एक शीट वितरित की है, जिस पर चार समकोण हैं
त्रिकोण तैयार किए गए थे और बच्चे को एक त्रिकोण के पक्षों के बीच संबंध खोजने के लिए कहते हैं। उपरोक्त स्थिति, शिक्षक ने इस्तेमाल किया?
A. आगमनात्मक विधि
B. कटौती विधि
C. व्याख्यान पद्धति
D. प्रयोगशाला विधि
Ans: A
6. उपचारात्मक शिक्षण का उद्देश्य क्या है?
A. छात्रों को उनकी सीखने की कठिनाइयों को दूर करने में मदद करें
B. कक्षा-कक्ष प्रबंधन में प्रवीणता विकसित करने में शिक्षकों की सहायता करें
C. छात्रों की सीखने की कठिनाइयों को रिकॉर्ड करने में शिक्षकों की मदद करें
D. हेडमास्टर को संतुष्ट करने के लिए शिक्षकों को अतिरिक्त कक्षाएं लेने में मदद करें
Ans: A
7. NCF 2005 के अनुसार, स्कूलों में गणित शिक्षा का एक मुख्य लक्ष्य है?
A. संख्यात्मक कौशल विकसित करना
B. समस्या सुलझाने के कौशल को बढ़ाना
C. विश्लेषणात्मक क्षमता का पोषण
D. बच्चे की विचार प्रक्रिया का गणित करें
Ans: D
8. उपचारात्मक शिक्षण का उद्देश्य क्या है?
A. छात्रों को उनकी सीखने की कठिनाइयों को दूर करने में मदद करें
B. कक्षा-कक्ष प्रबंधन में प्रवीणता विकसित करने में शिक्षकों की सहायता करें
C. छात्रों की सीखने की कठिनाइयों को रिकॉर्ड करने में शिक्षकों की मदद करें
D. हेडमास्टर को संतुष्ट करने के लिए शिक्षकों को अतिरिक्त कक्षाएं लेने में मदद करें
Ans: A
9. निम्नलिखित में से कौन ‘बीजगणित’ में एक महत्वपूर्ण पहलू नहीं है?
A. सामान्यीकरण
B. दृश्य
C. मापन
D. ट्रांसपोज़िशन
Ans: C
10. गणित में नैदानिक परीक्षण का उद्देश्य है?
A. प्रगति रिपोर्ट भरने के लिए
B.अंतिम परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र की योजना बनाने के लिए
C. बच्चों की समझ में अंतराल जानने के लिए
D.माता-पिता को प्रतिक्रिया देने के लिए
Ans: C
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Maths Pedagogy
गणित की प्रमुख शिक्षण विधियां: Pedagogy of Mathematics Notes*

Ganit ki Shikshan Vidhiyan
इस आर्टिकल में हम गणित की प्रमुख शिक्षण विधियों (Ganit ki Shikshan Vidhiyan) का अध्ययन करेंगे जोकि TET परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है गणित की शिक्षण विधियां इस प्रकार है
-
आगमन विधि (Inductive Method)
-
निगमन विधि (Deductive Method)
-
विश्लेषण विधि (Analytical Method)
-
संस्लेषण विधि (Synthesis Method)
-
प्रयोगशाला विधि (Lab/ Laboratory Method)
-
अनुसंधान विधि (Heuristic Method)
-
समस्य़ा समाधान विधि (Problem Solving Method)
-
प्रयोजन विधि (Project Method)
♦ गणित की प्रमुख शिक्षण विधियां ♦ |

methods of teaching mathematics
1.विश्लेषण विधि (analytics method)
- इस विधि में हम अज्ञात से ज्ञात की ओर जाते हैं। Ex- सिद्ध करे कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग दो समकोण ओं के बराबर होता है।
- इसका प्रयोग रेखा गणित प्रमेय को सिद्ध करने के लिए होता है।
गुण ( Advantage)
- स्वयं समस्या का समाधान करने, हल खोजने पर बल देती है ,स्थाई ज्ञान उत्पन्न होता है।
- यह मनोविज्ञान विधि है जो बालक में अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करती है।
- खोज करने की क्षमता( अन्वेषण क्षमता) का विकास होता है।
दोष (Disadvantage)
- अधिक समय लगता है।
- छोटी कक्षा के बालकों के लिए अनुपयोगी मानी जाती है।
- कुशल अध्यापक की आवश्यकता होती है।
- तर्कशक्ति की जरूरत होती है।
2.संश्लेषण विधि(Synthesis method)
- यह विधि विश्लेषण विधि का पूरक है इस विधि में ज्ञात से अज्ञात की ओर जाते हैं छोटे-छोटे खंडों से प्राप्त जानकारी को जोड़ कर( संश्लेषण) प्रयोग किया जाता है
Ex- A = B ( ज्ञात)
B = C ( ज्ञात)
अतः A=C अर्थात ज्ञात बातों का प्रयोग करके अज्ञात की खोज की जाती है।
गुण ( Advantage)
- यह विधि सरल, सूक्ष्म और क्रम क्रमबद्ध है।
- समस्या का हल जल्दी निकलता है अर्थात कम समय लेती है।
- स्मरण शक्ति के विकास में मदद करती है।
- मंद बुद्धि वाले छात्रों के लिए यह उपयोगी विधि है।
- ज्यादातर गणितीय समस्याएं इस विधि से ही हल की जाती है।
दोष (Disadvantage)
- रटने की प्रव्रति पर बल देती है।
- अन्वेषण क्षमता( खोज करने) का विकास नहीं हो पाता है।
- अर्जित ज्ञान आस्थाई होता है।
- यह विकास में सहयोग नहीं करती है तार्किक क्षमता और चिंतन रहित विधि है।
3.आगमन विधि (Inductive method)
- इस विधि में पहले छात्रों के सामने उदाहरण रखे जाते हैं फिर उन के आधार पर नियम बनाए जाते हैं।
इस विधि में तीन कार्य किए जाते हैं।
1. विशिष्ट से सामान्य की ओर।
2. ज्ञात से अज्ञात की ओर।
3. स्थूल से सूक्ष्म की ओर।
गुण( Advantage)
- यह एक वैज्ञानिक विधि है।
- स्वयं से कार्य करने के कारण अधिक स्थाई अधिगम होता है।
- व्यावहारिक और जीवन में लाभप्रद विधि है।
- इसके द्वारा बालक में स्वयं कार्य करने की क्षमता का विकास होता है बालक सदैव जिज्ञासु रहता है।
- यह छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी विधि है।
- इसके द्वारा बालक में गणित के प्रति रुचि बनी रहती है।
दोष (Disadvantage)
- यह धीमी विधि है समय अधिक लगता है।
- अधिक परिश्रम करना पड़ता है अधिक सोच की आवश्यकता होती है।
- परिणाम पूर्णता सत्य नहीं होते हैं कई बार छात्र गलत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं।
- इस विधि का कक्षा में सदैव प्रयोग नहीं किया जा सकता।
4.निगमन विधि(Deductive Method)
- यह विधि आगमन विधि के विपरीत है इस विधि में पहले परिभाषा, सूत्र एवं निर्देश को बता दिया जाता है, फिर उसे सत्य सिद्ध किया जाता है।
- इसमें नियम से उदाहरण की ओर चलते हैं।
- सामान्य से विशेष की ओर।
- सूक्ष्म से स्थूल की ओर।
गुण( Advantage)
- यह विधि गणित शिक्षण कार्य को अत्यंत सरल बना देती है।
- इस विधि से छात्र अत्यंत सरल तावा शीघ्रता से ज्ञान प्राप्त करता है।
- अंक गणित एवं बीजगणित शिक्षण में निगमन विधि सहायक सिद्ध होती है।
- कम परिश्रम एवं समय की बचत होती है।
- स्मरण शक्ति का विकास होता है।
दोष (Disadvantage)
- यह अमोवैज्ञानिक विधि है क्योंकि इसमें छात्र नियमों व सूत्रों की खोज स्वयं नहीं करते बल्कि उन्हें याद करते हैं।
- इसमें मिलने वाला ज्ञान आई स्थाई भाव स्पष्ट होता है।
5.प्रयोगशाला विधि (laboratory method)
- इस विधि में छात्र स्वयं गणित की प्रयोगशाला में यंत्रों, उपकरणों तथा अन्य सामग्री कि मदद से गणित के, तथ्य नियमों बा सिद्धांतों की सत्यता की जांच करते हैं . इस विधि में करके सीखने के सिद्धांत पर बल दिया जाता है।
ex . पाइथागोरस प्रमेय को प्रयोगशाला में सिद्ध करना।
गुण( Advantage)
- छात्र प्रयोगशाला के उपकरणओं का कुशल प्रयोग करना सीखते हैं।
- प्रयोगशाला में किया गया अधिगम स्थाई होता है।
- रुचिकर विधि है।
- तर्क क्षमता का विकास होता है।
दोष (Disadvantage)
- यह खर्चीली विधि है।
- यह छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है क्योंकि बच्चे उपकरण से सीखने की जगह खेलना शुरूकर देते हैं।
- कम संख्या वाली कक्षाओं के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।
6.अनुसंधान विधि(heuristic method)
- Heuristic शब्द एक ग्रीक Heurisco शब्द से आया है जिसका अर्थ है ‘मैं खोजता हूं’ आर्मस्ट्रांग ने इस विधि की खोज की थी।
- Heuristic शब्द से स्पष्ट है कि यह विधि स्वयं खोज करके या अपने आप सीखने की विधि है । इस विधि का प्रयोग विज्ञान के लिए भी किया जाता है। इस विधि में शिक्षक किसी विषय वस्तु के बारे में सीधे-सीधे नहीं बताता है, बल्कि प्रश्नों द्वारा छात्रों को स्वयं खोजने को कहता है. इस विधि में छात्र निष्क्रिय रोता मात्र ना रहकर स्वयं अन्वेषण या अविष्कारक बन जाते हैं।
गुण( Advantage)
- इस विधि द्वारा छात्र में तर्क करने, कल्पना, चिंतन, निरीक्षण, तुलना आदि विकास होता है।
- गणित शिक्षण में यह विधि बहुत लाभदायक सिद्ध होती है।
- यह विधि छात्र को ज्ञान की खोज करने की स्थिति में रखती है।
- यह विधि छात्रों को स्वयं गणित कार्य करने हेतु प्रेरित करती है और स्वाध्याय की आदत का निर्माण कर आती है।
- इसमें छात्र स्वयं अन्वेषण बन जाता है।
दोष (Disadvantage)
- यदि केवल असाधारण, बुद्धि वाले छात्रों के लिए उपयोगी है, क्योंकि साधारण बुद्धि वाले छात्र स्वयं अन्वेषण नहीं कर पाते।
- यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए अनुपयोगी है।
- यह विधि छात्रों को गलत नियम निष्कर्ष अथवा सिद्धांतों पर पहुंचा सकती है क्योंकि उनका मस्तिष्क इतना परिपक्व नहीं होता की वे अपनी गलती को समझ पाए।
7. समस्या- समाधान विधि (problem- solving method )
(जॉन डीवी)
- इस विधि में शिक्षक छात्रों के सामने एक समस्या रखता है,और छात्रों को समस्या को हल करने के लिए अपने विचार व सुझाव रखने को बोलता है । छात्र अपने तर्क एवं निर्णय से उस समस्या को सुलझाने का प्रयास करते हैं समस्या बालक के जीवन से संबंधित होनी चाहिए। इस विधि में समस्या सरल होती है. यह विधि करके सीखने के सिद्धांत पर कार्य करती है।
गुण( Advantage)
- यह विधि वैज्ञानिक ढंग से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
- इस विधि में छात्र सदैव क्रियाशील रहता है।
- इस विधि में छात्र स्वतंत्र होकर स्वयं कार्य करने करते हैं छात्रों की तर्क शक्ति का विकास होता है।
- छात्रों में समस्या समाधान की योग्यता का विकास होता है।
दोष (Disadvantage)
- यदि समस्या कठिन हो तो छात्र में विषय के प्रति रुझान कम हो जाता है।
- यदि समस्या की भाषा सरल ना हो तो छात्रों की सूची में कमी आ जाती है।
- समय अधिक लगता है।
8. प्रयोजन विधि (Project method)
- इस विधि का प्रयोग सर्वप्रथम किलपैट्रिक ने किया इस विधि में संपूर्ण कार्य को योजना बनाकर किया जाता है इसमें किसी भी समस्या के समाधान के लिए छात्र स्वयं अपनी तर्कशक्ति के द्वारा कार्य करता है तथा हल हो जता है।
गुण( Advantage):
- छात्र में क्रियात्मक और सृजनात्मक शक्ति का विकास होता है।
- छात्रों में निरीक्षण, तर्क तथा निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
दोष (Disadvantage):
- इस के प्रयोग से सभी पाठों को नहीं पढ़ाया जा सकता।
9.व्याख्यान विधि( lecture method)
- यह शिक्षण की सबसे प्रचलित विधि है इस विधि में एक शिक्षक किसी विषय या समस्या के बारे में व्याख्यान देता है ।व्याख्यान तर्क पूर्ण, व्यवस्थित तथा आकर्षित होना चाहिए ताकि छात्र का ध्यान विषय पर केंद्रित रहे इस विधि में प्रश्न उत्तर तथा उदाहरणों का प्रयोग किया जाता है।
गुण( Advantage)
- यह किसी विषय को पढ़ने की सबसे सरल विधि है.
- इसमें छात्रों का ध्यान विषय पर केंद्रित रहता है।
दोष (Disadvantage)
- इस विधि में छात्र निष्क्रिय रहता है।
- यह विधि करके सीखने पर बल नहीं देती है।
- इसमें Individual Differences पर ध्यान नहीं दिया जाताहै।
10.खेल विधि (Play Way method)
- इस विधि में शिक्षक छात्रों को संपूर्ण ज्ञान खेल के माध्यम से देता है इस विधि को फ्रोबेल ने दिया है इसका नाम हेनरी कोल्डवेल कुक ने रखा इस विधि में शिक्षा को पूर्ण रूप से खेल केंद्रित बनाने का प्रयास किया गया है ।
गुण( Advantage)
- छात्रों की खेल में स्वाभाविक रुचि होती है तो बच्चों का मन लगा रहता है।
- इस विधि द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है।
- यह विधि करो और शिखा के सिद्धांत पर आधारित है।
दोष (Disadvantage):
- कुछ बच्चों में शारीरिक शिथिलता के कारण इस विधि में कठिनाई आती है।
Maths Pedagogy
Math Pedagogy Important Questions For CTET, MP TET, UPTET & TET Exams

Math Pedagogy Important Questions For CTET: इस आर्टिकल में हम आपके साथ Maths Pedagogy liners Questions शेयर कर रहे हैं। जैसा कि आप सभी को पता होगा कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में pedagogy एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक होता है। सभी शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में विषयवार pedagogy पूछी जाती है। maths के अभ्यर्थियों के लिए मैथ्स पेडगॉजी(maths pedagogy) से प्रश्न पूछे जाते हैं, तो इसी को ध्यान में रखते हुए सभी maths के अभ्यार्थियों के लिए maths pedagogy महत्वपूर्ण प्रश्न लेकर आए हैं। आशा है, यह Maths Pedagogy के ये प्रश्न आपके लिए उपयोगी साबित होग!!!
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Math Pedagogy One liner Questions and Answers |
- रेखा गणित को किसने व्यवस्थित रूप प्रदान किया। – ब्रह्मगुप्त
- प्राथमिक कक्षाओं में गिनती सिखाने के लिए किसका प्रयोग उपयुक्त होता है। – अबेकस
- स्कूली शिक्षा में गणित का मुख्य लक्ष्य होता है। – बच्चों के विचार प्रक्रिया का गणितीय करण
- Curriculum for 10 years school किसके द्वारा प्रकाशित किया गया। – NCRT
- गणित शिक्षण का वास्तविक उद्देश्य ज्ञान प्राप्त करना नहीं वरन शक्ति प्रदान करना है किसने कहा। – डटन
- प्राथमिक स्तर पर गणित शिक्षा का महत्व होता है। – व्यवहारिक
- बहुत सारी गणित जानने के बजाय यह जानना अधिक उपयोगी है कि गणितीय करण कैसे किया जाए किसने कहा। – डेबिट व्हीलर
- गणितीय ज्ञान का प्रमुख रूप से उपयोग किस विषय में होता है। – विज्ञान
- ” इकाई उपागम” किस गणितज्ञ से संबंधित है। – मोरिसन
- “जो छात्र गणित नहीं समझते हैं वह पाठशाला में प्रवेश नहीं पा सकते हैं” किसका कथन है। – प्लेटो
- गणित शिक्षण विधि के किस विधि द्वारा कमजोर छात्रों को ज्यादा लाभ मिलता है। – संश्लेषण विधि
- गणित शिक्षण की कौन सी विधि तार्किक प्रतिपादन की विधि है। – संश्लेषण विधि
- किस विधि द्वारा अर्जित ज्ञान स्थाई होता है। – विश्लेषण विधि
- किस विधि द्वारा प्राप्त गणित शिक्षण छात्रों में आत्मविश्वास एवं आत्मा निरूता की भावना उत्पन्न करती है। – आगमन विधि द्वारा
- किसका कथन है की” शिक्षक शिक्षण उपकरणों के माध्यम से शिक्षण को स्थाई और रोचक बना देता है’। – मेकन तथा राबईस
- पाई कैसी संख्या है। – एक अपरिमेय संख्या
- गणित की प्रकृति कैसी होती है। – तार्किक
- शून्य की खोज किसने की थी। – आर्यभट्ट
जाने! संस्कृत व्याकरण के30 महत्वपूर्ण प्रश्न जो CTET परीक्षा में अक्सर पूछे जाते हैं?
- शून्य का प्रयोग सबसे पहले किसने किया। – ब्रह्मगुप्त
- गणित की प्रकृति होती है। – तार्किक
- त्रिभुज के तीनों अंतः कोणों का योग होता है। – 180॰
- पंचभुज के सभी अंतः कोणों का योग कितना होता है। – 540॰
- विभाजन ई का उपयोग किसके लिए किया जाता है। – रेखाखंड की लंबाई मापने हेतु
- यह किसने कहा की गणित सभी विज्ञानों का द्वार व कुंजी है। – रोजर बेकन
- सांख्यिकी में प्रसारण का विश्लेषण नामक विधि किसके द्वारा दी गई। – R.A फिशर
- गणित की मानसिक सिद्धांत के जन्मदाता माने जाते हैं। – प्लेटो
- गणित में हासिल लेने की प्रक्रिया किसके द्वारा दी गई थी। – श्रीधर
- सबसे छोटी प्राकृतिक संख्या है। – 1
- पाई()= 3.1416 का प्रतिपादन किसने किया था। – आर्यभट्ट प्रथम
- सबसे छोटी अभाज्य संख्या है। – 2
- दो अभाज्य संख्याओं का महत्तम समापवर्तक(HCF) – 1
- सबसे छोटी पूर्ण संख्या है। – 0
- किन्ही दो परिमेय संख्याओं के मध्य कितनी परिमेय संख्याएं होती है। – अनंत
- प्रथम पांच अभाज्य संख्याओं का योग होता है। – 28 ( 2+3+4+7+11= 28)
- गणित विज्ञान है। – गणनाओ का
- बताए गए नियमों को उदाहरण में प्रयोग कर पोस्ट करना किस शिक्षण विधि से संबंधित है। – आगमन विधि
- ज्यामिति का संबंध किस क्षेत्र से है। – मापन
- हयूरिस्को का शाब्दिक अर्थ है। – खोज करना
- हव्यूरिस्टिक विधि की खोज किसने की थी। – आर्मस्ट्रांग ने
- जीवन की किस गतिविधि में गणित का सर्वाधिक प्रयोग होता है। – आर्थिक गतिविधि
- गणित शिक्षण की सहायक दृश्य सामग्री क्या होती है। – श्यामपट्ट, मॉडल, चार्ट आदि
- गणित को रोचक सुग्राही एवं सरल बनाने के लिए आवश्यक है। – प्रभावशाली मनोविज्ञान
- प्राथमिक स्तर पर गणित का क्या महत्व है। – मानसिक
- उपलब्धि परीक्षण नैदानिक परीक्षण में अंतर है। – उद्देश्य का
- मनुष्य के जीवन की गतिविधियों में गणित का सर्वाधिक उपयोग होता है वह है। – सामाजिक और आर्थिक
- सर्वाधिक प्रभावशाली शिक्षण सामग्री है। – प्रत्यक्ष अनुभव
- गणित के अध्ययन से एक बच्चे में किस गुण का विकास होता है। – आत्मविश्वास, तार्किक सोच, विश्लेषक सोच
- गणित में किस विधि में हम प्रायः सूत्र तथा नियमों की सहायता लेते हैं। – निगमन विधि
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