Site icon Education Gyan

Child Development and Pedagogy Notes for REET Exam 2021

Child Development and Pedagogy NOTES for REET Exam- बाल विकास शिक्षा शास्त्र 

REET (Rajasthan Eligibility Examination for Teacher) परीक्षा मे CDP (बाल विकास शिक्षा शास्त्र) एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है जिससे पेपर -1 और पेपर – 2 मे 30-30 प्रश्न पुछे जाते है जिनके 30-30 अंक निर्धारित है। इसीलिए REET परीक्षा को पास करने मे CDP विषय पर पकड़ बहुत ही आवश्यक है। बाल विकास शिक्षा शास्त्र वेसे तो एक आसान सा विषय है परंतु परीक्षा मे इससे प्रश्न घूमा फिरा कर पुछे जाते है जिससे अभ्यर्थी को प्रश्न को हल करने मे कठिनाई होती है।

इस आर्टिक्ल मे हम REET परीक्षा 2021 हेतु बाल विकास से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषा का अध्ययन करेगे जो आपको आगामी REET परीक्षा मे पुछे जाने वाले CDP (बाल विकास शिक्षा शास्त्र) को समझने मे हेल्प करेंगा।

Child Development and Pedagogy Notes for REET Exam-

बाल विकास एवं इससे संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं

बाल विकास(child development):

बाल विकास क्या है? –  बच्चे के जन्म से लेकर किशोरावस्था के अंत तक उनमें होने वाले जैविक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनो को बाल विकास (या बच्चे का विकास),कहते हैं।” प्रत्येक बच्चे के विकास की विभिन्न अवस्थाएं होती हैं। इन्हीं अवस्थाओं में बच्चों का निश्चित विकास होता है। इसी सीमा का ध्यान रखते हुए विकास को निम्नलिखित वर्णों में विभाजित करने का प्रयास किया गया है।

    1. गर्भावस्था –  गर्भाधान से जन्म तक।
    2. शैशवावस्था – जन्म से 5 वर्ष तक।
    3. बाल्यावस्था- 5 वर्ष से 12 वर्ष तक।
    4. किशोरावस्था-  12 से 18 वर्ष तक।
    5. युवावस्था-  18 से 25 वर्ष तक।
    6. प्रौढ़ावस्था-  25 से 55 वर्ष तक।
    7. वृद्धावस्था –  55 वर्ष से मृत्यु तक।

परिभाषाएं(Definition):

 शैशवावस्था,  बाल्यावस्था एवं किशोर अवस्था से संबंधित विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई महत्वपूर्ण परिभाषाएं।

1.शैशवावस्था(0-5 वर्ष) से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Important definitions related to infancy (0-5 years)

फ्राइड के अनुसार : ” बालक को जो बनना होता है वह प्रारंभिक 4 से 5 वर्षों में बन जाता है”

वैलेंटाइन  के अनुसार : “शैशवावस्था को सीखने का आदर्श काल कहा है”

वाटसन के अनुसार : “शैशवावस्था में जो सीखने की सीमा तथा सीखने की तीव्रता है वह और किसी अन्य अवस्था में बहुत तीव्र होती है”

क्रो एवं क्रो के अनुसार :  “बीसवीं शताब्दी को बालक की शताब्दी कहां है “

थार्नडाइक के अनुसार : “3-6वर्ष का बालक  अर्धस्वप्न में रहता है”

2.बाल्यावस्था(6-12 वर्ष)  से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Important definitions related to childhood (6-12 years)):
कोल एवं ब्रस  के अनुसार: ” बाल्यावस्था संवेगात्मक विकास का अनोखा काल है”रॉस के अनुसार : ” बाल्यावस्था  को मिथ्या परिपक्वता कहां है”

किलपैट्रिक के अनुसार : ” बाल्यावस्था प्रतिद्वदात्मक अवस्था है”

 फ्राइड के अनुसार : “बाल्यावस्था जीवन निर्माण का काल है”

3. किशोरावस्था(12-18 वर्ष) से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं (Important definitions related to adolescence (12-18 years)):
किलपैट्रिक के अनुसार: ” इसमें कोई मतभेद नहीं है कि किशोरावस्था जीवन का सबसे कठिन काल है” वैलेंटाइन के अनुसार ; ” किशोरावस्था अपराध प्रवृति का नाजुक समय है”

रॉस  के अनुसार : ” किशोरावस्था शैशवावस्था की पुनरावृत्ति है”

कॉल सैनिक के अनुसार : ” किशोर अवस्था में किशोर प्रौढ़ को अपने मार्ग में बाधक मानते हैं”

स्टेनले हॉल के अनुसार : ” किशोरावस्था  को बड़े संघर्ष, तनाव तथा आंधी तूफान की अवस्था कहा जाता है”

Types of Child Development:

इस समय अधिकतर विद्वान मानव विकास का अध्ययन निम्नलिखित चार अवस्थाओं के अंतर्गत करते हैं.

1.शैशवावस्था –  जन्म से 6 वर्ष तक

2.बाल्यावस्था – 6 से 12 वर्ष तक

3.किशोरावस्था –  12 से 18 वर्ष तक

4.प्रौढ़ावस्था  –  18 से मृत्यु तक

1.शैशवावस्था(जन्म से 6 वर्ष तक)
सामाजिक लक्षण( अन्य लक्षण):
2.बाल्यावस्था( 6 वर्ष से 12 वर्ष तक):
सामाजिक लक्षण( अन्य लक्षण):
3.किशोरावस्था Teen Age ( 12 वर्ष से 18 वर्ष तक):
सामाजिक लक्षण( अन्य लक्षण):
4.प्रौढ़ावस्था(18 से मृत्यु तक):

Read More: NCF-2005 Important Notes In Hindi || राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005

Exit mobile version